AARTI

आरती

। । श्री गणेशाय नमः । ।
। । श्री गणेश वन्दना । ।

म्हारा प्यारा गजानन्द आईयो,
रिद्धि-सिद्धि ने संग लाइयो जी । । म्हारा प्यारा…
थाने सब से पहलां मनावां,
लडुवल को भोग लगावां,
थे मूंसे चढकर आइयो जी । । म्हारा प्यारा…
माँ पार्वती का प्यारा,
शिव शकंर का लाल दुलारा,
थे बाँध पागडी आइयो जी । । म्हारा प्यारा…
थे रिद्धि-सिद्धि का दातारि,
थानै ध्यावै दुनिया सारी,
म्यारा अटक्या काज बणईयो जी । । म्हारा प्यारा…
थारा सगला भगत यश गावै,
थारे चरणां शीश नवावै,
म्हारी नैया पार लगाइयों जी । । म्हारा प्यारा…

 

श्री हनुमान जी की आरती

आरति कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

जाके बल से गिरिवर काँपे
रोग दोष जाके निकट न झाँके .
अंजनि पुत्र महा बलदायी
संतन के प्रभु सदा सहायी ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये
लंका जाय सिया सुधि लाये .
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

लंका जारि असुर संघारे
सिया रामजी के काज संवारे .
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आन संजीवन प्राण उबारे ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे
अहिरावन की भुजा उखारे .
बाँये भुजा असुरदल मारे
दाहिने भुजा संत जन तारे ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

सुर नर मुनि जन आरति उतारे
जय जय जय हनुमान उचारे .
कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करति अंजना माई ..
आरति कीजै हनुमान लला की .

जो हनुमान जी की आरति गावे
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे .
आरति कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

 

 

महाराणी कल्याणी दादीजी की पुष्पांजली

जय जय जय माँ कल्याणी, महाराणी दादी मात ।
कुल कुटुम्ब है शरण तिहारी, चरण नवाये माथ ।।

हम सब जन सन्तान आपकी, आपका है परिवार ।
तन मन धन सुख वारिये, महक उठै सँसार ।।

आप हमारी कुल देवी, कुल की हैं महाराणी ।
कुल हित कारण प्रगट भई, बन गई कुल पटराणी ।।

भव भय बाधा दुःख सँकट, मेटो हर संताप ।
रोग व्याधि सगरे काटो, महर लुटावो आप ।।

हम सबके मन परहित के, भाव भरें भरपूर ।
निर्बल के हम बनें सहाई, अरज़ करें मन्जूर ।।

पाप अधर्म बुराई से, सदा रहें हम दूर ।
धन मद मोह माया सारे, मेटो क्रोध गुरुर ।।

हिलमिल कर हम सब रहें, ऐसा दें वरदान ।
राग द्वेष ईर्ष्या मिटे, सबका बढ़ै सम्मान ।।

हे महाराणी कुल कल्याणी, लजवाना थारा धाम ।
हर मुख पर निश दिन रहे, माता आपका नाम ।।

जिन्दल कुल करे विनती, अरज़ करें माँ स्वीकार ।
कहत “रवि” माँ हृदय विराजो, बरसावो निज़ प्यार ।।

 

 

“जिन्दल कुलदेवी महाराणी कल्याणी दादी माँ चालीसा”

श्री गणपति गुरु ध्याय कर, सिमरूँ मात भवानी ।
कुलदेवी कुल धणियाणी, महाराणी कल्याणी ।।
तन मन धन अर्पण करुँ, धरूँ चरण में माथ ।
हम सब जन माँ शरण तिहारी, सिर पर धरियो हाथ ।।

जय दादी जय जग कल्याणी ।
जिन्दल कुल गोती महाराणी ।।1
आप ही हो कुल की पटराणी ।
कुल वँशज की आप धिराणी ।।2
माँ दुर्गा का अँश रूप हो ।
ममता करुणा का स्वरूप हो ।।3
दयामयी माँ महरा वाली ।
कहलाती लजवाना वाली ।।4
जींद जिला प्रान्त हरियाणा ।
वँही धाम पावन लजवाना।।5
मकराणै का मन्दिर प्यारा ।
गोलाकार है अद्भुत न्यारा ।।6
मन्दिर शिखर पे ध्वज लहराता ।
जिन्दल कुल परचम् फहराता ।।7
घण्टा घनन घड़ावल बाजै ।
ढोलक शंखत् नगाड़े गाजै ।।8
निज़ मन्दिर में आप विराजो ।
रजत सिंहासन बैठी साजो ।।9
उच्च कोटि के परम पुजारी ।
कुल परिपाटी निभाते सारी ।।10
नित्य नियम से करते वन्दना ।
पूजा आरती नित्य प्रार्थना ।।11
धूप दीप और ज्योत जगाते ।
श्लोक मन्त्र और स्तुति गाते ।।12
देवी माँ का करे आहवान ।
तब ही गूँज रहा गुणगान ।।13
नवरातें में होते पारायण ।
हवन आहुति पवित्र पावन ।।14
होता वाता-वरण सुगन्धित ।
जन जीवन होता उल्लासित ।।15
कुलदेवी कुल की सती माता ।
हम भक्तों की भाग्य विधाता ।।16
गोयल गिरिराज जी घर जाई ।
जिन्दल कुल में आप बियाहि ।।17
श्री गिरिधर जी सँग परणाई ।
दो दो कुल को धन्य बनाई ।।18
सम्वत ग्यारह सौ अठारह ।
भादौ बदी पँचमी दिन वह ।।19
सती भई गिरधर जी साथा ।
सत् सकलाई की थी गाथा ।।20
ज़िन्दल कुल को धन्य बनाया ।
लजवाना निज़ धाम कहाया ।।21
जन मानस की आस्था जागी ।
मनोकामना अरजी लागी ।।22
शरणागत की रक्षा करना ।
हर विपदा से सुरक्षा करना ।।23
निज़ शक्ति का कवच बनाकर ।
निज़ कुल वँश की ढ़ाल बनाकर ।।24
भय बाधा मुश्किल से बचाना ।
हर दुःख सँकट दूर भगाना ।।25
अमन चैन खुशियाँ बरसाना ।
सुख का सागर सदा बहाना ।।26
रोग दोष व्याधि मिट जाये ।
आपद विपदा पास न आये ।।27
पाप अधर्म से हमें बचाना ।
धर्म पुण्य की राह चलाना ।।28
जन जन के मन आप विराजो ।
हृदय सिंहासन ऊपर साजो ।।29
नयन पलक के चँवर बनायें ।
भक्ति भाव से चँवर ढुलायें ।।30
जो जन आपकी शरण में आता ।
सद चित सद आनन्द वो पाता ।।31
सकल गुणों से वो भर जाता ।
दूर अवगुणों से हो जाता ।।32
कलुषित भाव विकार हटाओ ।
प्रेम प्यार के सुमन खिलाओ ।।33
जिन्दल कुल को तारण वाली ।
कुलदेवी लजवाणा वाली ।।34
ममता का आँचल लहराती ।
किरपा करुणा नित बरसाती ।।35
नेक नियति से भर दो दामन ।
सोच विचार व्यवहार हो पावन ।।36
सबका ही करें मन से आदर ।
नही किसी का करें निरादर ।।37
कहत रवि है यही प्रार्थना ।
यही वन्दना यही अर्चना ।।38
महर नज़र माँ सदा ही रखना ।
कृपा दृष्टि भी बनाये रखना ।।39
हम सब जन हैं शरण आपकी ।
छत्तर छाया पावैं आपकी ।।40

ज़िन्दल कुल परिवार ये, आपकी है सन्तान ।
तन मन धन सुख शान्ति, सबका करो कल्याण ।।
महाराणी कल्याणी दादी, लजवाना वाली मात ।
कहत रवि ऋद्धि सिद्धि, शुभ लाभ देवो माँ साथ।।

 

 

*महाराणी कल्याणी दादीजी की आरती*

ॐ जय कल्याणी दादी, मईया, जय महाराणी दादी
लजवाना में विराजो, रजत सिंहासन साजो
जन जन गुण गाता, ॐ जय कल्याणी दादी

गोयल कुल में जनम लियो माँ, ज़िन्दल कुल ब्याहि
माँ दुर्गा प्रतिरुपा, शक्ति रूप स्वरूपा
ज़िन्दल कुल ध्याता, ॐ जय कल्याणी
दादी
भव्य विशाल है, भवन आपका, मन्दिर अति प्यारा
शिखर ध्वजा लहरावै, कुल परचम फहरावै
गौरव बढ़ जाता, ॐ जय कल्याणी दादी

घण्टा घनन घड़ावल बाजै, शंखनाद गूँजे
ढ़ोल नगाड़े बजते, सब जन गायन करते
सुमिरन मन भाता, ॐ जय कल्याणी दादी

कुलदेवी माँ कुल कल्याणी, आप ही कुलमाता
कुल रक्षक कहलाती, कुल का मान बढ़ाती
नाम है विख्याता, ॐ जय कल्याणी दादी

कुल गोती सब कुटुम कबीला, आपके दर आता
करता जात जड़ूला, भोग प्रसादी पूजा
महर कृपा पाता, ॐ जय कल्याणी दादी

पान सुपारी ध्वजा नारियल रोली मोली काजल मेंहदी, चूड़ा चूनड़ी भेंट चढ़े
गूँजै मँगल वन्दन, सुख पाये प्राणी जन
हर दुःख कट जाता, ॐ जय कल्याणी दादी

कहत रवि माँ सबके हिरदय, आप ही वास करो
मन के विकार हटावो, सद विचार मन लावो
हर मन यही चाहता, ॐ जय कल्याणी दादी

*”जिन्दल कुलदेवी महाराणी कल्याणी दादी माँ चालीसा”*

श्री गणपति गुरु ध्याय कर, सिमरूँ मात भवानी ।
कुलदेवी कुल धणियाणी, महाराणी कल्याणी ।।
तन मन धन अर्पण करुँ, धरूँ चरण में माथ ।
हम सब जन माँ शरण तिहारी, सिर पर धरियो हाथ ।।

जय दादी जय जग कल्याणी ।
जिन्दल कुल गोती महाराणी ।।1
आप ही हो कुल की पटराणी ।
कुल वँशज की आप धिराणी ।।2
माँ दुर्गा का अँश रूप हो ।
ममता करुणा का स्वरूप हो ।।3
दयामयी माँ महरा वाली ।
कहलाती लजवाना वाली ।।4
जींद जिला प्रान्त हरियाणा ।
वँही धाम पावन लजवाना।।5
मकराणै का मन्दिर प्यारा ।
गोलाकार है अद्भुत न्यारा ।।6
मन्दिर शिखर पे ध्वज लहराता ।
जिन्दल कुल परचम् फहराता ।।7
घण्टा घनन घड़ावल बाजै ।
ढोलक शंखत् नगाड़े गाजै ।।8
निज़ मन्दिर में आप विराजो ।
रजत सिंहासन बैठी साजो ।।9
उच्च कोटि के परम पुजारी ।
कुल परिपाटी निभाते सारी ।।10
नित्य नियम से करते वन्दना ।
पूजा आरती नित्य प्रार्थना ।।11
धूप दीप और ज्योत जगाते ।
श्लोक मन्त्र और स्तुति गाते ।।12
देवी माँ का करे आहवान ।
तब ही गूँज रहा गुणगान ।।13
नवरातें में होते पारायण ।
हवन आहुति पवित्र पावन ।।14
होता वाता-वरण सुगन्धित ।
जन जीवन होता उल्लासित ।।15
कुलदेवी कुल की सती माता ।
हम भक्तों की भाग्य विधाता ।।16
गोयल गिरिराज जी घर जाई ।
जिन्दल कुल में आप बियाहि ।।17
श्री गिरिधर जी सँग परणाई ।
दो दो कुल को धन्य बनाई ।।18
सम्वत ग्यारह सौ अठारह ।
भादौ बदी पँचमी दिन वह ।।19
सती भई गिरधर जी साथा ।
सत् सकलाई की थी गाथा ।।20
ज़िन्दल कुल को धन्य बनाया ।
लजवाना निज़ धाम कहाया ।।21
जन मानस की आस्था जागी ।
मनोकामना अरजी लागी ।।22
शरणागत की रक्षा करना ।
हर विपदा से सुरक्षा करना ।।23
निज़ शक्ति का कवच बनाकर ।
निज़ कुल वँश की ढ़ाल बनाकर ।।24
भय बाधा मुश्किल से बचाना ।
हर दुःख सँकट दूर भगाना ।।25
अमन चैन खुशियाँ बरसाना ।
सुख का सागर सदा बहाना ।।26
रोग दोष व्याधि मिट जाये ।
आपद विपदा पास न आये ।।27
पाप अधर्म से हमें बचाना ।
धर्म पुण्य की राह चलाना ।।28
जन जन के मन आप विराजो ।
हृदय सिंहासन ऊपर साजो ।।29
नयन पलक के चँवर बनायें ।
भक्ति भाव से चँवर ढुलायें ।।30
जो जन आपकी शरण में आता ।
सद चित सद आनन्द वो पाता ।।31
सकल गुणों से वो भर जाता ।
दूर अवगुणों से हो जाता ।।32
कलुषित भाव विकार हटाओ ।
प्रेम प्यार के सुमन खिलाओ ।।33
जिन्दल कुल को तारण वाली ।
कुलदेवी लजवाणा वाली ।।34
ममता का आँचल लहराती ।
किरपा करुणा नित बरसाती ।।35
नेक नियति से भर दो दामन ।
सोच विचार व्यवहार हो पावन ।।36
सबका ही करें मन से आदर ।
नही किसी का करें निरादर ।।37
कहत रवि है यही प्रार्थना ।
यही वन्दना यही अर्चना ।।38
महर नज़र माँ सदा ही रखना ।
कृपा दृष्टि भी बनाये रखना ।।39
हम सब जन हैं शरण आपकी ।
छत्तर छाया पावैं आपकी ।।40

ज़िन्दल कुल परिवार ये, आपकी है सन्तान ।
तन मन धन सुख शान्ति, सबका करो कल्याण ।।
महाराणी कल्याणी दादी, लजवाना वाली मात ।
कहत रवि ऋद्धि सिद्धि, शुभ लाभ देवो माँ साथ।।